अवर न्यायालय द्वारा आदेश पारित करते समय पत्रावली पर उपलब्ध तथ्यों व साक्ष्य का सही अवलोकन न कर घोर कानूनी त्रुटि की है, जबकि पत्रावली पर ऐसे तमाम साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे यह साबित होता है कि विपक्षीगण/अभियुक्तगण द्वारा निगरानीकर्ता की सामाजिक रूप से मान हानि करने के उद्देश्य से एक आम सभा सार्वजनिक स्थल पर आहूत करके निगरानीकर्ता के चरित्र पर लांछन लगाये तथा जुलूस आदि निकालकर लांछन युक्त शब्दों का प्रयोग किया, इस तथ्य को अवर न्यायालय ने अपने प्रश्नगत आदेश में स्वीकार किया है, परन्तु अभियुक्तगण को दोषमुक्त किया गया है।